MCD एक्सक्लूसिव : वैसे तो निगमकर्मियों को सैलरी व पेंशन देने को फंड नहीं लेकिन कूड़े के निपटारे के नाम पर करोड़ों रुपये स्वाहा

इधर निगमकर्मियों का जीवन बगैर पगार के मारने जैसा हो रहा है तो वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा कूड़े के निपटारे के नाम पर लगाए गए करोडों रुपये आज आग के लपेटों में स्वाहा हो चुके।

मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले भलस्वा लैंडफिल साइट से जुड़ा है। बता दे भलस्वा लैंडफिल साइट पर अचानक आग लग जाने से पूरा इलाका धू-धू कर जल रहा है।

निगम सूत्र बताते हैं कि लैंडफिल साइट के कूड़े के निपटारे के नाम पर जो करोड़ों रुपए खर्च हुए वह अब स्वाहा हो चुके हैं।उत्तरी दिल्ली नगर निगम सूत्र के मुताबिक भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े के निपटारे के नाम पर 750 करोड़ रुपए का टेंडर एक प्राइवेट कंपनी को दिया गया।

टेंडर के तहत लैंडफिल साइट पर 14 ट्रॉमल मशीनें लगानी थी।मशीनों के ज़रिए कूड़े को छांटकर जो सरप्लस कूड़ा बचता है , उसे दूसरी साइट पर डालने की बात तय हुई थी। सूत्र बताते हैं की सरप्लस कूूूड़े को दूसरी साइड पर ना डालते हुए बगल में पड़ी 10 एकड़ की खाली जमीन पर ही डंप कर दिया जा रहा है।

वहीं दूसरी ओर लैंडफिल साइट पर लगी आग की जो वजह बताई गई वो भी बेहद चौका देने वाली है।सूत्र ने बताया कि मीथेन गैस जो कूड़े के नीचे की परत पर लगातार बनता रहता है वो यदि हवा के संपर्क में आ जाये है तो आग भड़क जाना स्वाभाविक है। ऐसा न हो उसके लिए लगभग 20 फुट मिट्टी की ऊपर से परत चढ़ाकर कैपिंग कर दी जाती है।

बताया गया कि कूड़ा छांटने के नाम पर परत हटा दी गई। परत हटते ही मीथेन गैस वातावरण की संपर्क में आया और आग भड़क गई। कूड़े के निपटारे के नाम पर लगाए गए करोड़ों रुपये भी इस आग में जलकर अब स्वाहा हो गए है।

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