नाराज़ हुए उपराज्यपाल वी के सक्सेना ..इसबार रडार पर आये है इस विभाग के अधिकारी…

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• उपराज्यपाल ने एसीबी से जांचों में असमान्य देरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा।

• सतर्कता निदेशालय और विभागों को भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्यवाही करते समयपूर्ण सावधानी और यथोचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश

उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों/मामलों की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा एवं सतर्कता निदेशालय द्वारा हो रही प्रक्रियात्मक चूकों और देरी का गंभीर संज्ञान लिया है। उन्होंने संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा अपने अधिकारियों के विरूद्ध शिकायतों की जांच हेतु एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारियों को समय पर उपलब्ध नहीं कराने/देरी करने पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है।

सक्सेना ने इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के संबंधित अधिकारियों द्वारा एक वर्ष से अधिक समय से लंबित सभी मामलों के लिए स्पष्टीकरण मांगते हुए विभाग से ऐसे लंबित मामलों की सूची कारण सहित उपराज्यपाल सचिवालय में भेजने को कहा है। उन्होंने सतर्कता निदेशालय और सभी विभागों के अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि जांच के लिए भेजे गए सभी मामलों/शिकायतों पर गंभीरता से विचार, यथोचित प्रक्रिया एवं मामलों का विवेकपूर्ण अध्ययन करके उसे निश्चित समय सीमा के अन्दर कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जाए। उपराज्यपाल द्वारा यह निर्देश तब जारी किए गए, जब उन्होंने पाया कि सरकारी अधिकारियों के कथित भ्रष्टाचार के मामले, जो उनके सामने लाए गए हैं उनमें संबंधित विभागों और एजेंसियों द्वारा विवेकपूर्ण अध्ययन नहीं किया गया और इसमें बेवजह देरी की गई है। जहां कई मामले 2012-2017 से जांच के लिए लंबित हैं, वहीं कईयों में संबंधित प्रशासनिक विभाग ने अपनी टिप्पणीयां प्रस्तुत नहीं की थी वहीं कुछ मामलों में सतर्कता विभाग ने स्वीकृति प्रदान करने के लिए विरोधाभासी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।

उपराज्यपाल ने सतर्कता विभाग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा शिकायत संबंधी अनुरोध उनके विचार के लिए तभी प्रस्तुत किया जाए जब संबंधित प्रशासनिक विभाग अभियुक्त अधिकारियों के खिलाफ उचित छानबीन कर अपनी टिप्पणी फाइल पर दे दें।  सक्सेना ने निर्देश दिए कि प्रशासनिक विभाग की टिप्पणियों को रिकार्ड कर यह सुनिश्चित किया जाए कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा सिफारिशें यथासंभव एक दूसरे से अलग और विरोधाभासी न हों।

उपराज्यपाल ने कहा कि इससे जहां एक ओर मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित होगा वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी को भी न्याय मिल सकेगा।

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