राजधानी दिल्ली में लोग खुलकर ले सकेंगे साँस, उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने कसी कमर

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यमुना के बाढ़ के मैदानों की पारिस्थितिक विशिष्टता को बढ़ाने और इसे एक मनोरंजनात्मक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में और अधिक आकर्षक बनाकर इसे लोगों के लिए ज्यादा अनुकूल बनाने के हेतू, उपराज्यपाल  विनय कुमार सक्सेना ने आज शहर के पहले बैंबू थीम पार्क ‘बांसेरा’ की नींव रखी और इसे दिल्ली के लोगों को समर्पित किया।

यहां असम से लाए गए 25,000 से अधिक विशेष किस्म के बांस के पौधे लगाए जाएंगे। इससे एक ओर राजधानी में आवश्यक सार्वजनिक स्थानों को बढ़ाने के लक्ष्य की प्राप्ति होगी, साथ ही दूसरी ओर यह भी सुनिश्चित होगा कि बाढ़ के मैदानों की समृद्ध जैव विविधता संरक्षित और व्यवस्थित रहे।

बाढ़ के मैदान और नदी के किनारों पर अक्सर अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण के परिणामस्वरूप नदी के रूप में यमुना के अस्तित्व पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

इस अवसर पर बोलते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि बड़े पैमाने पर बैंबू-बांस के रोपण से राजधानी की वायु प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बांस लगभग 30% अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, जबकि यह बहुत कम पानी की खपत करता है और मिट्टी को समृद्ध करता है।

परिधि पर बांस के पेड़, शहर के वातावरण में ऑक्सीजन बढ़ाने के अलावा, मौसमी धूल भरी आंधी के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकने में भी मदद करेंगे। इसके अलावा, बांस विभिन्न आर्थिक गतिविधियों जैसे फर्नीचर बनाने, अगरबत्ती आदि के लिए एक स्रोत के रूप में, दिल्ली में रोजगार के अवसर पैदा करने और आय बढ़ाने में मदद करेगा।

इस अवसर पर माननीय सांसद, गौतम गंभीर, मुख्य सचिव दिल्ली, नरेश कुमार और उपाध्यक्ष डीडीए,  मनीष कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे।

यमुना नदी के बाढ़ के मैदानों की बहाली और कायाकल्प की डीडीए की प्रसिद्ध परियोजना एक पहल के रूप में शुरू की जा रही है ताकि बाढ़ के मैदानों के पारिस्थितिक विशिष्टता को बढ़ाया जा सके और उन्हें बड़े पैमाने पर जनता के लिए सुलभ बनाया जा सके। महत्वाकांक्षी ‘बांसेरा’ परियोजना के तहत इस परियोजना को अगले स्तर पर ले जाया जा रहा है, जिसकी संकल्पना और मार्गदर्शन स्वयं उपराज्यपाल महोदय ने किया है।

पश्चिमी तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग-24 के दक्षिण में, बाढ़ के मैदान के 10 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक और अजैविक सामग्री के रूप में बांस का उपयोग करके थीम आधारित बहुउद्देशीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस साल जून में साइट की पहचान करते हुए, उपराज्यपाल महोदय ने वहां 2.5 हेक्टेयर के अवसाद क्षेत्र को एक जलाशय के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया था।  इसके लिए काम पूरा कर लिया गया है और यह जलाशय बांसेरा का हिस्सा होगा।

इस शहर की अपनी तरह की प्रथम पहल का नाम ‘बांसेरा’ रखा गया है, जो हिंदी शब्द  ‘बसेरा’ से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘निवास’।

परियोजना के बारे में बताते हुए, उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा “पूरे क्षेत्र को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है: मुख्य रूप से ग्रीनवे ज़ोन में बांस मनोरंजन क्षेत्र और नदी के जल में होने वाले अन्य प्रकार के वृक्षारोपण के साथ बांस वृक्षारोपण क्षेत्र।”

इस क्षेत्र के लिए खास तौर पर खरीदे गए बांस के पौधों की विभिन्न किस्मों के पौधारोपण के संबंध में “बांसेरा” का एक अनूठा अनुभव होगा । पौधारोपण के अलावा बांस, जो कि पर्यावरण के अनुकूल है, उससे विभिन्न सुविधाओं को डिजायन किया गया है जिसमें कियोस्क, हट्स, वॉचटावर और कच्चे रास्ते के साथ-साथ ग्रीनवे में जनता के बैठने का स्थान शामिल है ।

बांस पौधरोपण क्षेत्र में बांस की विभिन्न किस्में ग्रोव्स और सेटम के रूप में होंगी । ग्रीनवे जोन में बांस के मनोरंजनात्मक क्षेत्र में एक आगमन जोन होगा- एक ऐसा क्षेत्र जो शहर के भीड-भाड वाले जीवन से दूर पेड़ों के बीच से होते हुए नदी किनारे तक की एक यादगार यात्रा का अनुभव कराएगा और आपको रुचिकर स्थल तक ले जाएगा।

बांस के पेडों के नीचे बैठने के स्थान के साथ ही एक बैंबो कैफे का भी प्रस्ताव है । एक जगह पर जुटने के लिए बडे स्थानों को भी डिजायन किया गया है जिसमें बांस के झुरमुट एक घेरे की संरचना उपलब्ध कराएंगे ।

जुलाई में, असम से बांस की 15 किस्मों की 20000 पौध को खरीदा गया और एक नर्सरी को पहले ही तैयार किया गया ताकि इस स्थल पर मॉनसून में पौधरोपण के समय यह पौध दिल्ली की जलवायु स्थितियों के अनुकूल ढल सकें ।

एक बार पूरी तरह से विकसित होने के बाद यह सीखने का स्रोत और वहनीयता को बढ़ावा देने वाला होगा और यमुना बाढ़ के मैदानों के अन्य परियोजना स्थलों की तरह ही दिल्ली वासियों को सुखद अनुभव उपलब्ध कराएगा ।

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