MCD यूनिफिकेशन बिल पर संसद में बवाल….कांग्रेस ने कहा ये बिल….

दिल्ली नगर निगम एकीकरण को लेकर 25 मार्च को संसद में पेश किए गए बिल को लेकर विपक्ष के नेताओं ने खूब विरोध किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया तो कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस बिल को संसद के अधिकार के बाहर बताते हुए बिल को पेश करने का विरोध किया। उनके अलावा आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के गौरव गोगोई और बीएसपी के रितेश पांडेय ने बिल का विरोध किया।

उधर भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं का मानना है कि इस विलय से पार्टी को अपनी छवि बदलने और सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद मिलेगी।केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा और इसमें वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा जिससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय की देनदारियां कम होंगी तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय की सेवाएं बेहतर होंगी। लोकसभा में बिल पेश किए जाने के बाद सरकार इसे संसद के दोनों सदनों में पास करवाना पड़ेगा।जिसके बाद दिल्ली में कई साल पहले की तरह सिर्फ एक ही नगर निगम होगा।

जो बिल केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया है, उसमें दिल्ली नगर निगम में सीटों की अधिकतम सीमा 250 रखी गई है।जबकि फिलहाल तीनों निगमों को मिलाकर 272 सीटें हैं.।जब तक चुनाव नहीं होते तब तक नगर निगमों पर निगरानी के लिए केंद्र सरकार एक स्पेशल अफ़सर नियुक्त करेगी।वहीं सीटों के निर्धारण के लिए परिसीमन किया जाएगा।

इस पूरे प्रकरण पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी  ने  भाजपा द्वारा जानबूझकर नगर निकाय चुनावों में  देरी करने का ‘आरोप लगाया है।  साथ ही उनका ये भी कहना है कि नगर निगमों के विलय से चुनाव में पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।आप ने दावा किया है कि चुनाव जब भी होंगे निगम में आप की ही सरकार आएगी।

एमसीडी विधेयक 2022 की महत्वपूर्ण बातें :-

1. दिल्ली के तीन नगर निगमों को फिर से मिलाकर दिल्ली नगर निगम का गठन होगा।
2. वार्ड की संख्या 250 होगी।
3. वार्डों का परिसीमन नई जनगणना 2022 के आधार पर होगा। (अनुमान के अनुसार जनगणना की रिपोर्ट आने में दो साल + परिसीमन में एक साल)
4. नगर निगम के चुनाव नहीं होने तक किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी या फिर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। निगम प्रशासक भी केंद्र ही नियुक्त करेगा।
5. दिल्ली नगर निगम अधिनियम-1957 में संशोधन करने विधेयक-2022 में दिल्ली सरकार यानी सरकार के स्थान पर केंद्र सरकार कर दिया।
6. दिल्ली नगर निगम के कामकाज से दिल्ली सरकार का कोई वास्ता नहीं रहेगा।
7. दिल्ली नगर निगम सीधे तौर पर केंद्र के अधीन आएगा।
8. गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से दिल्ली नगर निगम अधिनियम की 17 धाराओं का अधिकार वापस लेगा।
9. दिल्ली नगर निगम आयुक्त नियुक्त करने में दिल्ली सरकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी ।
10. दिल्ली सरकार के पास दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को तलब करने एवं कामकाज के मामले में निर्देश देने का अधिकार नही होगा।
11. नगर निगम को अपनी बैठकों का एजेंडा भी दिल्ली सरकार को नहीं देना होगा।

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