दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के इस अनोखे कदम से एमसीडी को मिल रहा है इस भयंकर उलझन से इस तरह निजात…

बजाते रहो न्यूज़ 

दिल्ली के उपराज्यपाल  वी. के. सक्सेना के निर्देशानुसार दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नागरिकों से दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटों पर जमा निर्माण एवं विध्वंस कचरे एवं इनर्ट उठाने के लिए अपील की थी। जिसके उत्साहवर्धक परिणाम सामने आए हैं। एक महीने से भी कम समय में निजी संस्थाओं द्वारा 10,000 मीट्रिक टन से ज्यादा इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा उठाने संबंधी प्रस्ताव आए हैं जिसमे से 8421.75 मीट्रिक टन इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा उठा लिया गया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल  वी. के. सक्सेना ने कार्यभार संभालते ही दिल्ली की लंबे समय से लंबित परेशानियों एवं समस्याओं के निदान के लिए साहसिक एवं नवीन कदम उठा रहे हैं। यह उनका समस्याओं को हल करने का अनोखा तरीका है जिसके अंतर्गत वो सीधा जनता से संवाद स्थापित करके अपील के माध्यम से जनभागीदारी एवं सरकारी विभागों को साथ मिलकर दिल्ली को विरासत में मिली परेशानियों का निदान कर रहे हैं।
दिल्ली नगर निगम की तीनों लैंडफिल साइटों पर जमा निर्माण एवं विध्वंस कचरे एवं इनर्ट को हटाने की दिशा में कार्य करते हुए दिल्ली के नागरिकों,उद्योगों,ठेकेदारों एवं सड़क निर्माण के कार्य से जुड़ी संस्थाओं से अपील के माध्यम से प्रयोग में लाए जा सकने वाले कचरे को मुफ्त में उठाने के लिए कहा। उपराज्यपाल ने 29 मई 2022 को गाजीपुर स्थित लैंडफिल साइट का निरीक्षण किया था जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जनभागीदारी से इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरे को हटाने के उपाय किए जाएं।
सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम को एक जन सूचना जारी करने के लिए निर्देशित किया था जिसमे दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली एवं एनसीआर के नागरिकों से अपने निर्माण कार्यों में इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरे को इस्तेमाल करने की अपील की गई थी। दिल्ली नगर निगम ने लैंडफिल साइट पर जमा इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा निशुल्क देने की पेशकश की गई थी। 21 जुलाई 2022 एवं 04 अगस्त 2022 को की गई अपील के उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। दिल्ली एवं एनसीआर के नागरिकों एवं विभिन्न एजेंसियों की तरफ से एक माह से भी कम समय में 10500 मीट्रिक टन इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा उठाने संबंधी प्रस्ताव मिले हैं।
उपराज्यपाल महोदय ने भवन एवं सड़क निर्माण से जुड़ी अन्य सरकारी एजेंसियों जैसे डीडीए,पीडब्ल्यूडी,एनडीएमसी एवं सीपीडब्ल्यूडी इत्यादि को भी अपने कार्यों में इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा इस्तेमाल करने के लिए कहा था। डीडीए एवं पीडब्ल्यूडी ने इसके इस्तेमाल करने में रुचि दर्शाई है।
दिल्ली नगर निगम की यह पेशकश सभी हितधारकों के लिए लाभप्रद सिद्ध हुई है,इसके तीन लाभ सामने आए हैं। इससे दिल्ली नगर निगम के साथ साथ इनर्ट इस्तेमाल करने वाले नागरिकों/एजेंसियों के खर्च में कटौती आई है वहीं दूसरी तरफ कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई भी कम हो रही है।
दिल्ली नगर निगम इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरे की एनएचएआई की निर्माण साइटों पर ढुलाई की मद में 500 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से खर्च कर रहा था। किंतु अब एजेंसियां/नागरिक इसे अपने खर्च पर उठा रहे हैं। 8421.75 मीट्रिक टन इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा हटाने की मद में निगम ने 42.11 लाख रुपए बचाए हैं।वहीं पहले जो एजेंसियां इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरे के लिए 500 से 700 रुपए प्रति टन की दर से अदा कर रही थी उन्हें यह कचरा अब निशुल्क मिल रहा है। उन्हे सिर्फ इसकी ढुलाई की मद में खर्च करना पड़ता है।
दिल्ली की भलस्वा,गाजीपुर एवं ओखला स्थित लैंडफिल साइटों पर इनर्ट मिट्टी का ढेर लगा हुआ है जोकि कचरे के निस्तारण से प्राप्त होती है। इस इनर्ट मिट्टी का प्रयोग सड़क तल से नीचे गई भूमि की भराई, भवनों की नींव की भराई,सड़क निर्माण,इंटरलॉकिंग ब्लाकों का निर्माण जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है। इनर्ट मिट्टी के उठाने के पश्चात लैंडफिल साइटों पर खाली हुई जगह का प्रयोग अतिरिक्त ट्रॉमल मशीन स्थापित करने के लिए किया जाएगा जिससे लेगेसी कचरे के निस्तारण के कार्य में तेजी लाई जा सकेगी।
उत्साहवर्धक परिणाम से प्रोत्साहित होकर उपराज्यपाल महोदय ने दिल्ली नगर निगम को निर्देश जारी किए हैं की वो अपनी अपील को दोहराए ताकि इनर्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरा उठाने के कार्य में तेजी लाई जा सके। यह ध्यान देने योग्य बात है कि उपराज्यपाल महोदय स्वयं ही सरकारी एवं निजी एजेंसियों/ संगठनों से संपर्क करके लेगेसी कचरे के पुनचक्रण एवं पुन इस्तेमाल को सुनिश्चित कर रहे हैं।लैंडफिल साइटों पर विगत 35-40 वर्षों से लगातार कूड़ा डलने के कारण वहां पर 50 से 60 मीटर ऊंचे कूड़े के पहाड़ बन गए हैं जिनमें 280 लाख टन कूड़ा जमा है।

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