दिल्ली विधानसभा में अर्द्धसैनिक बल ने भी केजरीवाल के सामने रख दिया है ये गंभीर सवाल कहा..

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रहने वाले 2 लाख से ज्यादा पैरामिलिट्री फोर्सेस जवानों व उनके परिवारों परिवारों में जरूरी सुविधाओं को लेकर काफी मायूसी। अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ, बीएसएफ आईटीबीपी एसएसबी सीआईएसएफ महानिदेशालय दिल्ली में स्थित हैं इसके अलावा एनडीआरएफ व कोबरा बटालियन के हेडक्वाटर्स भी राजधानी दिल्ली जिसमें हजारों की संख्या में जवान कार्यरत हैं।

झडोदा कलॉ, बवाना, छावला, टिगरी, महिपालपुर, घिटोरनी आदि फैमिली कैम्पस में ओर उसके आसपास हजारों अर्ध सैनिकों के परिवार रहते हैं। राजधानी की कानून व्यवस्था को बनाए रखने में तकरीबन 20 बटालियनों के 20 हजार जवान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

दिल्ली में स्थित संसद, मेट्रो, हवाई अड्डे व महत्वपूर्ण सरकारी बिल्डिंग की सुरक्षा में 40 हजार से अधिक जवान तैनात हैं लेकिन सुविधाओं को लेकर बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही है।

पिछले 10 सालों में कई बार पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी से भलाई संबंधित मुद्दों को लेकर मुलाकातें हुईं कि दिल्ली राज्य में अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के गठन किया जाए लेकिन अभी तक परिणाम जीरो रहा। सरकारें आई गई अर्ध सैनिक बलों के परिवार कल्याण के नाम पर अधुरे ही रहे।

पूर्व एडीजी सीआरपीएफ श्री एचआर सिंह द्वारा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर जबरदस्ती यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) थोपने के लिए सरकार का कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि 24 धंटे सरहदों की चाक चौबंद चौकीदारी करने वाले पैरामिलिट्री फोर्सेस जवानों की पैंशन 8 घंटे करने वाले सिविलियन कर्मचारियों के बराबर कैसे हो सकती है जो कि घर परिवार से सैंकड़ों हजारों किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती इलाकों में नक्सलवाद आतंकवाद से लड़ रहे हैं।

हमें एनपीएस, युपीएस नहीं बल्कि पुरानी पैंशन बहाल होनी चाहिए जिसके लिए 11 जनवरी 2024 को माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले में पुरानी पैंशन बहाली के लिए केंद्रीय सरकार को आदेश पारित किया गया था और ताजुब हुआ कि सरकार पैरामिलिट्री पेंशन बहाली के विरोध में सुप्रीम कोर्ट चली गई।

इस बार केंद्रीय सैनिक बलों के 2 लाख साइलेंट वोटर अपने वोट की चोट से चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। विभिन्न राज्यों में कार्यरत पूर्व अर्धसैनिकों की वेलफेयर एसोसिएशन प्रतिनिधियों को परेड में नहीं बुलाए जाने पर महासचिव रणबीर सिंह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रति नाराजगी जताई हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए विशेष अतिथि के रूप में आये ‘वाइब्रेंट विलेजेज’ के सैकड़ों विशेष मेहमानों को बुलाया लेकिन सरहदी चौकीदारों को इस खास मौके पर नहीं बुलाया गया इससे बड़े सौतेले व्यवहार की मिसाल भला और क्या हो सकती है।

 गृहमंत्री जी झुग्गी झोपड़ी सम्मेलन आयोजित करते हैं जबकि आजादी की बाद सरकारें आई ओर गई लेकिन पूर्व अर्धसैनिकों का सम्मेलन आज तक आयोजित नहीं किया गया हालांकि माननीय गृह मंत्री जी को निवेदन भेजा गया है।

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